GST Reform 2025:GST 2.0 से भरेगी आम आदमी की जेब, हर साल बचेंगे 42380 रुपए, समझें पूरा गणित

GST Reform 2025: मोदी सरकार ने दिवाली से पहले GST स्लैब में बड़ा बदलाव किया है. 4 स्लैब कम करके अब 5 और 18% के दो स्लैब रह गए हैं. रोजमर्रा के सामान, रेस्टोरेंट खाना, फिल्म टिकट और यात्रा पर अब कम GST लगेगा. एक आम परिवार सालाना 40,000 रुपये तक बचा सक

Sep 6, 2025 - 15:35
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GST Reform 2025:GST 2.0 से भरेगी आम आदमी की जेब, हर साल बचेंगे 42380 रुपए, समझें पूरा गणित

GST Reform 2025: मोदी सरकार ने एक बार फिर आम आदमी की जेब को राहत देने का बड़ा कदम उठाया है। बजट में इनकम टैक्स में मिली छूट के बाद अब जीएसटी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। लंबे समय से चल रही चार स्लैब वाली जीएसटी व्यवस्था को सरल बनाते हुए इसे दो मुख्य स्लैब में बदल दिया गया है। पहले 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स रेट थे, लेकिन अब ज्यादातर वस्तुओं पर सिर्फ 5% या 18% जीएसटी लगेगा। इसके अलावा, एक विशेष 40% स्लैब केवल सिन गुड्स (जैसे तंबाकू), लग्जरी आइटम्स और हानिकारक उत्पादों के लिए रखा गया है। इस बदलाव से आम परिवारों की जेब पर क्या असर पड़ेगा और कितनी बचत होगी, आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं।

दिल्ली में रहने वाले राजेश एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और उनकी मासिक सैलरी 80,000 रुपये है। इस कमाई से वे अपने परिवार (पत्नी और दो बच्चे) का खर्च चलाते हैं। हर महीने 10,000 रुपये घर के किराए पर जाते हैं, जबकि घरेलू सामान और ग्रोसरी पर 20,000 रुपये खर्च होते हैं। अच्छी खबर यह है कि नए जीएसटी नियमों में रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं को 12% से घटाकर 5% स्लैब में शिफ्ट कर दिया गया है, जिससे आम लोगों को सीधा फायदा मिलेगा।

ग्रोसरी शॉपिंग में बड़ी राहत राजेश का परिवार ग्रोसरी पर每月 20,000 रुपये खर्च करता है। पहले इन वस्तुओं पर औसतन 12% जीएसटी लगता था, यानी 100 रुपये की खरीदारी पर 12 रुपये टैक्स जुड़कर कुल 112 रुपये हो जाते थे। अब 5% जीएसटी के साथ वही सामान 105 रुपये में उपलब्ध होगा, यानी प्रति 100 रुपये पर 7 रुपये की बचत। इस हिसाब से राजेश को每月 1,400 रुपये का फायदा होगा। साल भर में यह बचत 16,800 रुपये तक पहुंच सकती है। इससे परिवार की बुनियादी जरूरतें आसान हो जाएंगी।

रेस्टोरेंट में डिनर अब और किफायती नए नियमों से रेस्टोरेंट में खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी 18% से घटकर 5% हो गया है। अगर राजेश每月 परिवार के साथ रेस्टोरेंट में 5,000 रुपये खर्च करते हैं, तो पहले 900 रुपये टैक्स लगता था, लेकिन अब सिर्फ 250 रुपये। यानी每月 650 रुपये की बचत। पूरे साल में यह रकम 7,800 रुपये तक बच सकती है। इस बदलाव से रेस्टोरेंट बिजनेस को भी बूस्ट मिलेगा, जो महंगे टैक्स की वजह से मंदी का शिकार था।

फिल्म देखना और पॉपकॉर्न का मजा सस्ता जीएसटी सुधार से सिंगल-स्क्रीन थिएटर्स में 100 रुपये तक के टिकट पर टैक्स 12% से घटकर 5% (ITC के साथ) हो गया है। हालांकि, 100 रुपये से ऊपर के टिकट और मल्टीप्लेक्स जैसे पीवीआर पर 18% टैक्स यथावत रहेगा। इसके अलावा, पॉपकॉर्न पर पहले की तीन कैटेगरी वाली जटिल टैक्स व्यवस्था को सरल बनाया गया है। नमकीन या लेबल वाले पॉपकॉर्न पर अब 5% जीएसटी लगेगा, पहले के 12% की बजाय। अगर राजेश每月 परिवार के साथ फिल्म पर 2,000 रुपये खर्च करते हैं, तो 140 रुपये की मासिक बचत होगी, यानी सालाना 1,680 रुपये।

ट्रैवल और हवाई सफर में आसानी इस बदलाव से छुट्टियां मनाना भी सुलभ हो जाएगा। इकोनॉमी क्लास फ्लाइट टिकट पर जीएसटी 12% से घटकर 5% हो गया है, जबकि बिजनेस क्लास पर 18% से 12%। अगर राजेश साल में एक बार परिवार के साथ ट्रिप पर 50,000 रुपये खर्च करते हैं, तो 3,500 रुपये की बचत संभव है। इससे पर्यटन क्षेत्र को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

कपड़ों और जूतों की खरीदारी पर बचत कपड़ों पर पहले 12% जीएसटी था, जो अब 5% हो गया है। राजेश अगर हर दो महीने में परिवार के लिए 20,000 रुपये के कपड़े खरीदते हैं, तो प्रति खरीद 1,400 रुपये बचेंगे, यानी सालाना 8,400 रुपये। जूते-चप्पलों के लिए 2,500 रुपये तक के उत्पाद अब 5% स्लैब में आएंगे, पहले के 1,000 रुपये की सीमा से ऊपर। इससे त्योहारों का इंतजार किए बिना शॉपिंग आसान हो जाएगी।

दवाओं पर खर्च में कटौती 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में दवाओं को भी राहत दी गई। अब मुख्यतः 5% और 18% स्लैब, साथ ही 33 जीवनरक्षक दवाओं और कैंसर की दवाओं पर जीएसटी जीरो कर दिया गया। अगर राजेश每月 परिवार की दवाओं पर 5,000 रुपये खर्च करते हैं, तो 350 रुपये की मासिक बचत, यानी सालाना 4,200 रुपये।

इन सभी मदों को जोड़ें तो राजेश जैसे आम परिवार को सालाना लगभग 42,380 रुपये की बचत हो सकती है। यह बदलाव न केवल आम आदमी की जेब मजबूत करेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। सरकार का यह कदम दिवाली से पहले एक सच्चा तोहफा साबित हो रहा है।

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